शब्दालंकार
अनुप्रास अलंकार
वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास कहते है। आवृत्ति का अर्थ किसी वर्ण का एक से अधिक बार आना है,
'अनु' का अर्थ है :- बार-बार तथा 'प्रास' का अर्थ है -वर्ण।
जहाँ स्वर की समानता के बिना भी वर्णों की बार -बार आवृत्ति होती है ,वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है.उदाहरण- चारू चन्द्र की चंचल किरने, खेल रही थी जल थल में .
इसमें च वर्ण की आवृत्ति बार बार हुई है .
यमक अलंकार
जिस जगह एक ही शब्द एक से अधिक बार प्रयुक्त हो, लेकिन उस शब्द का अर्थ हर बार भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है.
उदहारण-कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय.वा खाये बौराय नर, वा पाये बौराय.
श्लेष अलंकार
जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ निलकते हो, वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है, श्लेष का अर्थ होता है - चिपका हुआ .
पानी गये न उबरे ,मोती मानुष चुन .
यह पानी के तीन अर्थ है -मोती के साथ कान्ति,मनुष्य के साथ इज्जत और चुने के साथ जल .
Very helpful
ReplyDelete